भूला राही

भूला राही

                                             
       भूला राही

जीवन भर का भूला रही ,अपने पथ पर आजा रे
जिस प्रकाश के हो अनुरागी ,कोई भी पा सका नहीं
क्षितिज बावरा गीत मिलन के,होठो पर ला सका नही
मृग मिरिचिका के बंधन सेजीवन मुक्त बना जा रे
जीवन भर का भूला रही ,अपने पथ पर आजा रे



पंछी उड़कर थक व्योम में, मिली नहीं आधारशिला ,
सागर सतत बना मिलाने को ,निठुर चन्द्रमा नहीं मिला
मतवारी मन कि लहरो सेअपना तट सहला जा रे
जीवन भर का भूला रही ,अपने पथ पर आजा रे



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