इश्क क्या मुसीबत है तुम समझ न पाओगे
अश्क के समुंदर में हर ख़ुशी डुबाओगे
इश्क क्या मुसीबत है तुम समझ न पाओगे
इनको तुम समझतो हो महफिले सिकंदर है
आबरू के प्याले में क्या जहर मिलाओगे
इश्क क्या मुसीबत है तुम समझ न पाओगे
ये जमी के जुगनू है असमा के तारे नहीं
एक झलक दिखा देंगे फिर देख न पाओगे
इश्क क्या मुसीबत है तुम समझ न पाओगे
अश्क के समुंदर में हर ख़ुशी डुबाओगे
इश्क क्या मुसीबत है तुम समझ न पाओगे
इनको तुम समझतो हो महफिले सिकंदर है
आबरू के प्याले में क्या जहर मिलाओगे
इश्क क्या मुसीबत है तुम समझ न पाओगे
ये जमी के जुगनू है असमा के तारे नहीं
एक झलक दिखा देंगे फिर देख न पाओगे
इश्क क्या मुसीबत है तुम समझ न पाओगे
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